लहरों की तो फ़ितरत ही है , शोर मचाने की लेकि | हिंदी Poetry

"लहरों की तो फ़ितरत ही है , शोर मचाने की लेकिन मंज़िल उसी की होती है, जो नज़रों से तूफ़ान देखता है Deval RD"

 लहरों की तो फ़ितरत ही है ,
शोर मचाने की
      लेकिन मंज़िल उसी की होती है,  
    जो नज़रों से तूफ़ान देखता है 


Deval RD

लहरों की तो फ़ितरत ही है , शोर मचाने की लेकिन मंज़िल उसी की होती है, जो नज़रों से तूफ़ान देखता है Deval RD

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