जैसे खुशियों के पल गुजरे, ऐसे ही पल हर-पल दो ना,
मैं सुबहा की किरण बनूँ, तुम साँझ सा खुद को ढल दो ना,
हो धूप डगर य़ा छाँव शहर, ये वादा है इक-दूजे से,
मैं हाथ तुम्हारा थाम रखूँ, तुम साथ हमारे चल दो ना l
कोई बात हो या कोई कहा-सुनी या नोंक-झोंक तकरार कभी,
इस जनम- जनम के रिश्ते पर, पड़ सके ना कोई दरार कभी l
जैसे लम्हे अब तक बीते, ऐसे ही हर एक कल दो ना,