पल्लव की डायरी
महापुरुष का चिंतवन
,सर्व समाजिक होता है
जातियों और भाषाओं में जो बांट दे
वो संकुचन समाज होता है
गुरुनानक की समदर्शिता सर्वव्यापी थी
हमारी परम्पराओ का सन्देशवाहक बन आया था
प्रकाश फैले ज्ञान का,सेवा को ही
भगवान तक पहुँचने का माध्यम बनाया था
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
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