सुनो!! रोक लेना मुझे उस पल जब हम तुमसे बिछड़ रहे | हिंदी कविता

"सुनो!! रोक लेना मुझे उस पल जब हम तुमसे बिछड़ रहे होंगे। हथेलियों को इतना सख्ती से पकड़े रहना की कायनात की कोई भी ताकत मुझे तुमसे जुदा ना करने पाए। तुम जब कह रहे होंगे ना कि अब हमारे निकलने का वक़्त हो चला है वो वक़्त मन वहीं रोक देना चाहेगा। तुम कहते हो ना कि तुम मेरे मौन को भी पढ़ लेते हो तो एक विनती है तुमसे उस वक़्त भी पढ़ लेना इस मौन को क्योंकि विवसता शायद कुछ कहने से पहले रोकती हो। सुनो ।। मैं ये नहीं कहूँगी की जब ये दामन छूटने लगे तब तुम इन आँखों में झाँकने की कोशिश मत करना क्योंकि सुना था की मर्द को दर्द नही होता पर मैं उस मर्द की आँखों में देखना चाहुंगी की हमारे प्रेम के संक्षिप्त मिलन का वह विरह वियोग तुम्हारे आँखों के पोर्हो पर कितनी जगह लेता है। सुनो! वक़्त ना हो शायद हमारे पास जाते-जाते बस इतना करना तुम हर बात से लापरवाह होकर इन भालो को चुम लेना और देना उस पल के लिए वो अंतिम विदाई जिसे हम आँखों के रस्ते से दिल में महसूस कर थोड़ी तडप, थोड़ी निराशा लिए तुमसे दूर जाने और ज़िन्दगी में फ़िर से एक बार कहीं ना कहीं किसी मोड़ पर तो मिलने ये उम्मीद लिए मैं आगे की तरफ बढ़ ही रहे होंगे कि तुम उसी रास्ते पर किसी बेजान दरख्त की तरह खड़े बस ये मिन्नतें करते दिखो की शायद ये झल्ली तुम्हारी बेचैनी को पढ़ कर फिर से दौड़ कर आए और तुमसे गले आ मिले। .....निशा राय ©Nisha Rai✍️"

 सुनो!!
रोक लेना मुझे उस पल 
जब हम तुमसे 
बिछड़ रहे होंगे।
हथेलियों को इतना सख्ती 
से पकड़े रहना की 
कायनात की कोई भी ताकत 
मुझे तुमसे जुदा ना करने पाए।
तुम जब कह रहे होंगे ना
कि अब हमारे निकलने का वक़्त हो चला है
वो वक़्त मन वहीं रोक देना चाहेगा।
तुम कहते हो ना
कि तुम मेरे मौन को भी पढ़ लेते हो
तो एक विनती है तुमसे
उस वक़्त भी पढ़ लेना इस मौन को
क्योंकि विवसता शायद कुछ कहने से पहले रोकती हो।

सुनो ।।
मैं ये नहीं कहूँगी की
जब ये दामन छूटने लगे 
तब तुम इन आँखों में
झाँकने की कोशिश मत करना
क्योंकि सुना था की मर्द को दर्द नही होता 
पर मैं उस मर्द की आँखों में
देखना चाहुंगी की
हमारे प्रेम के  संक्षिप्त मिलन का
वह विरह वियोग तुम्हारे आँखों के पोर्हो पर
कितनी जगह लेता है।

सुनो!
वक़्त ना हो शायद हमारे पास
जाते-जाते बस इतना करना 
तुम हर बात से लापरवाह होकर
इन भालो को चुम लेना 
और देना उस पल के लिए 
वो अंतिम विदाई 
जिसे हम आँखों के रस्ते से
दिल में महसूस कर 
थोड़ी तडप, थोड़ी निराशा लिए 
तुमसे दूर जाने 
और ज़िन्दगी में फ़िर से एक बार
कहीं ना कहीं किसी मोड़ पर तो मिलने
ये उम्मीद लिए 
मैं आगे की तरफ बढ़ ही रहे होंगे
कि तुम उसी रास्ते पर 
किसी बेजान दरख्त की तरह खड़े 
बस ये मिन्नतें करते दिखो
की शायद ये झल्ली 
तुम्हारी बेचैनी को पढ़ कर 
फिर से दौड़ कर आए और 
तुमसे गले आ मिले।

                                        .....निशा राय

©Nisha Rai✍️

सुनो!! रोक लेना मुझे उस पल जब हम तुमसे बिछड़ रहे होंगे। हथेलियों को इतना सख्ती से पकड़े रहना की कायनात की कोई भी ताकत मुझे तुमसे जुदा ना करने पाए। तुम जब कह रहे होंगे ना कि अब हमारे निकलने का वक़्त हो चला है वो वक़्त मन वहीं रोक देना चाहेगा। तुम कहते हो ना कि तुम मेरे मौन को भी पढ़ लेते हो तो एक विनती है तुमसे उस वक़्त भी पढ़ लेना इस मौन को क्योंकि विवसता शायद कुछ कहने से पहले रोकती हो। सुनो ।। मैं ये नहीं कहूँगी की जब ये दामन छूटने लगे तब तुम इन आँखों में झाँकने की कोशिश मत करना क्योंकि सुना था की मर्द को दर्द नही होता पर मैं उस मर्द की आँखों में देखना चाहुंगी की हमारे प्रेम के संक्षिप्त मिलन का वह विरह वियोग तुम्हारे आँखों के पोर्हो पर कितनी जगह लेता है। सुनो! वक़्त ना हो शायद हमारे पास जाते-जाते बस इतना करना तुम हर बात से लापरवाह होकर इन भालो को चुम लेना और देना उस पल के लिए वो अंतिम विदाई जिसे हम आँखों के रस्ते से दिल में महसूस कर थोड़ी तडप, थोड़ी निराशा लिए तुमसे दूर जाने और ज़िन्दगी में फ़िर से एक बार कहीं ना कहीं किसी मोड़ पर तो मिलने ये उम्मीद लिए मैं आगे की तरफ बढ़ ही रहे होंगे कि तुम उसी रास्ते पर किसी बेजान दरख्त की तरह खड़े बस ये मिन्नतें करते दिखो की शायद ये झल्ली तुम्हारी बेचैनी को पढ़ कर फिर से दौड़ कर आए और तुमसे गले आ मिले। .....निशा राय ©Nisha Rai✍️

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