मुस्कुराते सूरज से तुम भी मुस्कुराकर मिलो किरणों क | हिंदी शायरी

"मुस्कुराते सूरज से तुम भी मुस्कुराकर मिलो किरणों को दिल में उतारने बाँहें फैलाकर मिलो रंजिशों की कोई जगह न बचे दिल में कहीं रक़ीबों को भी तुम घर बुलाकर मिलो. ©malay_28"

 मुस्कुराते सूरज से तुम भी मुस्कुराकर मिलो
किरणों को दिल में उतारने बाँहें फैलाकर मिलो
रंजिशों की कोई जगह न बचे दिल में कहीं
रक़ीबों को भी तुम घर बुलाकर मिलो.

©malay_28

मुस्कुराते सूरज से तुम भी मुस्कुराकर मिलो किरणों को दिल में उतारने बाँहें फैलाकर मिलो रंजिशों की कोई जगह न बचे दिल में कहीं रक़ीबों को भी तुम घर बुलाकर मिलो. ©malay_28

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