ख्वाबों के समुंदर में कूद गया हूं जो अब, तो समुं | हिंदी कविता

"ख्वाबों के समुंदर में कूद गया हूं जो अब, तो समुंदर की गहराइयों से अभी रूबरू होना बाकी है, हार नहीं मानूंगा सीप की मोतियों से जीत का हार बनाना बाकी है। ©Gunjan Rajput"

 ख्वाबों के समुंदर में कूद 
गया हूं जो अब,

तो समुंदर की गहराइयों से 
अभी रूबरू होना बाकी है,

हार नहीं मानूंगा सीप की 
मोतियों से जीत का हार 
बनाना बाकी है।

©Gunjan Rajput

ख्वाबों के समुंदर में कूद गया हूं जो अब, तो समुंदर की गहराइयों से अभी रूबरू होना बाकी है, हार नहीं मानूंगा सीप की मोतियों से जीत का हार बनाना बाकी है। ©Gunjan Rajput

ख्वाबों के समुंदर में कूद
गया हूं जो अब,

तो समुंदर की गहराइयों से
अभी रूबरू होना बाकी है,

हार नहीं मानूंगा सीप की
मोतियों से जीत का हार

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