अपनी बेटियों को तितलियाँ नहीं बल्कि मधुमक्खियाँ बन | हिंदी शायरी

"अपनी बेटियों को तितलियाँ नहीं बल्कि मधुमक्खियाँ बनाओ, उन्हें पंख भी दो और डंक भी। उन्हें ऊँची उड़ान भरना भी सिखाओ और सर कुचलने का हुनर भी, क्योंकि उन्हें साँपों की बस्ती में ज़िन्दगी गुज़ारनी है। ©Nurul Shabd"

 अपनी बेटियों को तितलियाँ नहीं बल्कि मधुमक्खियाँ बनाओ, 
उन्हें पंख भी दो और डंक भी।  
उन्हें ऊँची उड़ान भरना भी सिखाओ और सर कुचलने का हुनर भी,  
क्योंकि उन्हें साँपों की बस्ती में ज़िन्दगी गुज़ारनी है।

©Nurul Shabd

अपनी बेटियों को तितलियाँ नहीं बल्कि मधुमक्खियाँ बनाओ, उन्हें पंख भी दो और डंक भी। उन्हें ऊँची उड़ान भरना भी सिखाओ और सर कुचलने का हुनर भी, क्योंकि उन्हें साँपों की बस्ती में ज़िन्दगी गुज़ारनी है। ©Nurul Shabd

#Shayari #in #Hindi हिंदी शायरी

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