White ।। मृगतृष्णा।।
मैं उनकी तो हो _हो आऊं,
उन_सा जो वटवृक्ष हृदय पाऊं।
उनकी छवि जो इन आंखो मैं,
क्यों धोए हम अश्रु जल से।
रोज बंधे हम जिनके कर से,
हम कर मुक्त हुए कब उनसे।
मैं मीरा सी भजन ना गाऊं,
अपने प्रभु को आप मनाऊं।
चुप हो जा री प्यारी मैना,
क्यों पिया बिन मिले ना चैना।
तुम भी पंख लगा लेना,
थोड़ा _ सा बतिया लेना।।
©Anju Sinha
#कविता