चोटी गंथाय झुलुप टेड़गी जइसे दिखय केशकाल घाटी करिय | हिंदी कविता

"चोटी गंथाय झुलुप टेड़गी जइसे दिखय केशकाल घाटी करिया बादर अस काजर आंजे दिखत हावस तँय हा खांटी मँय लबधिया ओ... झांझनगर के तीर मा रथंव। (३) ©PK Pappu Patel"

 चोटी गंथाय झुलुप टेड़गी
जइसे दिखय केशकाल घाटी
करिया बादर अस काजर आंजे
दिखत हावस तँय हा खांटी
मँय लबधिया ओ...
झांझनगर के तीर मा रथंव। (३)

©PK Pappu Patel

चोटी गंथाय झुलुप टेड़गी जइसे दिखय केशकाल घाटी करिया बादर अस काजर आंजे दिखत हावस तँय हा खांटी मँय लबधिया ओ... झांझनगर के तीर मा रथंव। (३) ©PK Pappu Patel

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