न हारा है इश्क न दुनिया थकी है,
दिया जल रहा है हवा चल रही है,
सुकून ही सुकून है खुशी ही खुशी है,
तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है।
जब तक अपने दिल में उनका ग़म रहा,
हसरतों का रात दिन मातम रहा,
हिज्र में दिल का ना था साथी कोई,
दर्द उठ-उठ कर शरीके-ग़म रहा।
दो कदम तो सभी चल लेते हैं पर,
ज़िन्दगी भर साथ कोई नहीं निभाता,
अगर रो कर भुला सकते यादें,
तो हँसकर कोई अपने ग़म न छुपाता।
©Ramdayal Kumar