बहके बहके कदम हैं! बात इतनी सी थी! कभी हम नहीं थे! | हिंदी कविता

"बहके बहके कदम हैं! बात इतनी सी थी! कभी हम नहीं थे! कभी तुम नहीं थे! फिर भी कारवां चलता गया! हम मिलते रहे! बिछड़ते रहे! वक़्त के हर सितम! ढ़हा कर हम मिल ही गये! बाद मुद्दत के आइने ने! मुस्कुरा कर पूछा क्या? बात है! आज महकी महकी सी फ़ज़ा है। 🌹 ©Ranu Shukla"

 बहके बहके कदम हैं!
बात इतनी सी थी!
कभी हम नहीं थे!
कभी तुम नहीं थे!
फिर भी कारवां चलता गया!
हम मिलते रहे!
बिछड़ते रहे!
वक़्त के हर सितम!
ढ़हा कर हम मिल ही गये!
बाद मुद्दत के आइने ने!
मुस्कुरा कर पूछा क्या? बात है!
आज महकी महकी सी फ़ज़ा है। 🌹

©Ranu Shukla

बहके बहके कदम हैं! बात इतनी सी थी! कभी हम नहीं थे! कभी तुम नहीं थे! फिर भी कारवां चलता गया! हम मिलते रहे! बिछड़ते रहे! वक़्त के हर सितम! ढ़हा कर हम मिल ही गये! बाद मुद्दत के आइने ने! मुस्कुरा कर पूछा क्या? बात है! आज महकी महकी सी फ़ज़ा है। 🌹 ©Ranu Shukla

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