मैं मुशाफिर चलने आया हूं मार्ग में कितने भी कांटे

"मैं मुशाफिर चलने आया हूं मार्ग में कितने भी कांटे पत्थर या रोड़े हों उन्हें पार करने आया हूं जो लक्ष्य निर्धारित कर रखा है उसे पाना है हर हाल में इसलिए तो अपने मां बापूजी को छोड़ कर आया हूं ©Amit J Dixit"

 मैं मुशाफिर चलने आया हूं

मार्ग में कितने भी कांटे पत्थर
 या रोड़े हों उन्हें पार करने आया हूं
जो लक्ष्य निर्धारित कर रखा है
उसे पाना है हर हाल में
इसलिए तो अपने मां बापूजी को छोड़ कर आया हूं

©Amit J Dixit

मैं मुशाफिर चलने आया हूं मार्ग में कितने भी कांटे पत्थर या रोड़े हों उन्हें पार करने आया हूं जो लक्ष्य निर्धारित कर रखा है उसे पाना है हर हाल में इसलिए तो अपने मां बापूजी को छोड़ कर आया हूं ©Amit J Dixit

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