बारिश में भीगकर
वो इठला रही है
जाने क्यों बलखा रही है
मस्ती के मूड में
प्यार के गीत गा रही है
खुशियाँ दिल में भर के
वो देखो हर किसी को
अपने साथ भींगा रही है
अपने साथ-साथ औरों के भी
चेहरे पर मुस्कान ला रही है
बिजली जो चमकी डर से वो देखो
छुपने की जगह ढूँढ रही है
©Prabhat Kumar
#प्रभात कविता बारिश पर कविता