"White देख काली घटा के नज़ारे
याद आ गए दिन वो प्यारे
काग़ज़ की नाव बनाते थे
बारिश में खूब नहाते थे
ना था कोई जात का बंधन
ना अमीर गरीबी का किस्सा था
माल पुए और खीर पर यारो
हर किसी का हिस्सा था
खो हो गए दिन कहाँ वो
जिनको आँखें तरसती हैं
अपनो का संग याद वो करके
सावन सी आंखें बरसती हैं
©Anita Mishra"