तो पाया,
जितनी बुराइयां मैंने अब तक दूसरों में देखी है
वो कहीं ना कहीं मुझ में भी हैं..
क्युकी बुराई की आंख से अगर हम एक सज्जन को भी देखें तो नज़र आ जाते हैं खोट कई..
इसीलिए अब सोचा है, दिल साफ करना है,
नज़रिया बदलना है, इतना कि अगर कोई सामने हो लाख बुरा सही ..
मगर आंख ढूंढ़ना चाहे कोई अच्छाई उसमें कई...!
अपने अंदर झाँक के देखा,
और बताओ क्या-क्या देखा...
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Collaborating with YourQuote Didi
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