*जो भरा नहीं है भावों से* *बहती जिसमें रसधार नहीं | हिंदी कविता

"*जो भरा नहीं है भावों से* *बहती जिसमें रसधार नहीं।* *वह नर नहीं जानवर है* *जिन्हें अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।* *वो पढ़े लिखे भी जाहिल है जो* *अपने महापुरुषों का* *रखते ध्यान नहीं।* *जो भरा नहीं है भावों से* *जिसमें बहती रस धार नहीं।* *वह हृदय नही वह पत्थर है* *जिसमें अपनो का प्यार नही।।* *साहब ने संविधान बनाया* *उसका अध्ययन करते नहीं।* *सारी रक्षा समाहित है संविधान में ।* *उसको तो तुम पढ़ते नहीं।।* *जो भरा नहीं है भावों से* *जिसमें बहती रसधार नही।* *वह नर नहीं जानवर है* *जिनको अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।* *वो पढ़े लिखें भी जाहिल है* *जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।* *बाबा साहब ने संविधान में* *सारी जगत की महिलाओं का* *बहुत बड़ा उपकार किया।* *फिर भी वो बाबा साहब के विचारों का* *रखती ध्यान नहीं।।* *धन्य थे मेरे बाबा साहब* *पूरे भारत वर्ष का उत्थान किया।* *अपनो की खातिर अपनो* *का ही उन्होंने रख पाया ध्यान नहीं।।* *जो भरा नहीं है भावों से* *जिसमे बहती रसधार नही।* *वह हृदय नहीं वह पत्थर है।* *जिसमें अपनो का प्यार नहीं।।* *वो पढ़े लिखें भी जाहिल है* *जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।* *जय भीम।जय संविधान। जय विज्ञान।* 🙏🌹🌹🌹🌹🌹 भीम पुत्री ममता आंबेडकर राइटर समाज सेविका जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश ©mamta ambedkar writer"

 *जो भरा नहीं है भावों से*
 *बहती जिसमें रसधार नहीं।*
 *वह नर नहीं जानवर है*
 *जिन्हें अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।*
*वो पढ़े लिखे भी जाहिल है जो*

*अपने महापुरुषों का*
 *रखते ध्यान नहीं।*
*जो भरा नहीं है भावों से*

*जिसमें बहती रस धार नहीं।*
*वह हृदय नही वह पत्थर है*
 *जिसमें अपनो का प्यार नही।।*

 *साहब  ने संविधान बनाया*
*उसका अध्ययन करते नहीं।*
*सारी रक्षा समाहित है संविधान में ।*

*उसको तो तुम पढ़ते नहीं।।*
*जो भरा नहीं है भावों से*

*जिसमें बहती रसधार नही।*
*वह नर नहीं जानवर है* 
*जिनको अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।*

*वो पढ़े लिखें भी जाहिल है*
*जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।*

*बाबा साहब ने संविधान में*
 *सारी जगत की महिलाओं का* 
 *बहुत बड़ा उपकार किया।*
*फिर भी वो बाबा साहब के विचारों का*
*रखती ध्यान नहीं।।*

*धन्य थे मेरे बाबा साहब*
 *पूरे भारत वर्ष का उत्थान किया।*
 *अपनो की खातिर अपनो*
 *का ही उन्होंने  रख पाया ध्यान नहीं।।*

*जो भरा नहीं है भावों से*

*जिसमे बहती रसधार नही।*
 *वह हृदय नहीं वह पत्थर है।*
*जिसमें अपनो का प्यार नहीं।।*
*वो पढ़े लिखें भी जाहिल है*
*जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।*

*जय भीम।जय संविधान। जय विज्ञान।*
🙏🌹🌹🌹🌹🌹
भीम पुत्री ममता आंबेडकर राइटर समाज सेविका जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

©mamta ambedkar writer

*जो भरा नहीं है भावों से* *बहती जिसमें रसधार नहीं।* *वह नर नहीं जानवर है* *जिन्हें अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।* *वो पढ़े लिखे भी जाहिल है जो* *अपने महापुरुषों का* *रखते ध्यान नहीं।* *जो भरा नहीं है भावों से* *जिसमें बहती रस धार नहीं।* *वह हृदय नही वह पत्थर है* *जिसमें अपनो का प्यार नही।।* *साहब ने संविधान बनाया* *उसका अध्ययन करते नहीं।* *सारी रक्षा समाहित है संविधान में ।* *उसको तो तुम पढ़ते नहीं।।* *जो भरा नहीं है भावों से* *जिसमें बहती रसधार नही।* *वह नर नहीं जानवर है* *जिनको अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।* *वो पढ़े लिखें भी जाहिल है* *जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।* *बाबा साहब ने संविधान में* *सारी जगत की महिलाओं का* *बहुत बड़ा उपकार किया।* *फिर भी वो बाबा साहब के विचारों का* *रखती ध्यान नहीं।।* *धन्य थे मेरे बाबा साहब* *पूरे भारत वर्ष का उत्थान किया।* *अपनो की खातिर अपनो* *का ही उन्होंने रख पाया ध्यान नहीं।।* *जो भरा नहीं है भावों से* *जिसमे बहती रसधार नही।* *वह हृदय नहीं वह पत्थर है।* *जिसमें अपनो का प्यार नहीं।।* *वो पढ़े लिखें भी जाहिल है* *जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।* *जय भीम।जय संविधान। जय विज्ञान।* 🙏🌹🌹🌹🌹🌹 भीम पुत्री ममता आंबेडकर राइटर समाज सेविका जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश ©mamta ambedkar writer

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