*जो भरा नहीं है भावों से*
*बहती जिसमें रसधार नहीं।*
*वह नर नहीं जानवर है*
*जिन्हें अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।*
*वो पढ़े लिखे भी जाहिल है जो*
*अपने महापुरुषों का*
*रखते ध्यान नहीं।*
*जो भरा नहीं है भावों से*
*जिसमें बहती रस धार नहीं।*
*वह हृदय नही वह पत्थर है*
*जिसमें अपनो का प्यार नही।।*
*साहब ने संविधान बनाया*
*उसका अध्ययन करते नहीं।*
*सारी रक्षा समाहित है संविधान में ।*
*उसको तो तुम पढ़ते नहीं।।*
*जो भरा नहीं है भावों से*
*जिसमें बहती रसधार नही।*
*वह नर नहीं जानवर है*
*जिनको अपने इतिहास का ज्ञान नहीं।।*
*वो पढ़े लिखें भी जाहिल है*
*जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।*
*बाबा साहब ने संविधान में*
*सारी जगत की महिलाओं का*
*बहुत बड़ा उपकार किया।*
*फिर भी वो बाबा साहब के विचारों का*
*रखती ध्यान नहीं।।*
*धन्य थे मेरे बाबा साहब*
*पूरे भारत वर्ष का उत्थान किया।*
*अपनो की खातिर अपनो*
*का ही उन्होंने रख पाया ध्यान नहीं।।*
*जो भरा नहीं है भावों से*
*जिसमे बहती रसधार नही।*
*वह हृदय नहीं वह पत्थर है।*
*जिसमें अपनो का प्यार नहीं।।*
*वो पढ़े लिखें भी जाहिल है*
*जो अपने महापुरुषों का रखते ध्यान नहीं।।*
*जय भीम।जय संविधान। जय विज्ञान।*
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भीम पुत्री ममता आंबेडकर राइटर समाज सेविका जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश
©mamta ambedkar writer
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