अक्सर हम जैसा सोचते हैं, वैसा होता नहीं! कहते हैं

"अक्सर हम जैसा सोचते हैं, वैसा होता नहीं! कहते हैं की हर शाम केे बाद सुबह जरूर आती है, तो किस्मत की सुबह क्यों नहीं खुलती मेरी! ©karishma singh"

 अक्सर हम जैसा सोचते हैं,
वैसा होता नहीं!
कहते हैं की हर शाम केे बाद
सुबह जरूर आती है,
तो किस्मत की 
सुबह क्यों नहीं खुलती मेरी!

©karishma singh

अक्सर हम जैसा सोचते हैं, वैसा होता नहीं! कहते हैं की हर शाम केे बाद सुबह जरूर आती है, तो किस्मत की सुबह क्यों नहीं खुलती मेरी! ©karishma singh

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