क्या फर्क पड़ता है की कितनी कविताएँ तुम्हारे लिये | हिंदी कविता

"क्या फर्क पड़ता है की कितनी कविताएँ तुम्हारे लिये लिखी गई कितने सावन तुम्हारे लिये बरसे, वो झूमके जो तुम झूम के लाये थे क्या फर्क पड़ता है वो किताब जो शिद्दत से भेजी उस शिद्द्त से क्या फर्क पड़ता है... वक्त की धूल जम गई... तुम और तुम्हारी किताब दोनों पर... याद करुँ तो प्रेम है भुला दूँ तो नफरत है... और आगे बढ़ जाऊँ तो कुछ भी नहीं कहीं नहीं था..... कभी नहीँ था....! ©ajnabi"

 क्या फर्क पड़ता है की
कितनी कविताएँ तुम्हारे लिये 
लिखी गई
कितने सावन तुम्हारे लिये  बरसे, 
वो झूमके जो तुम झूम के लाये थे
क्या फर्क पड़ता है
वो किताब जो शिद्दत से भेजी 
उस शिद्द्त से क्या फर्क पड़ता है...
वक्त की धूल जम गई...
 तुम और तुम्हारी किताब दोनों पर...
याद करुँ तो प्रेम है
भुला दूँ तो नफरत है...
 और आगे बढ़ जाऊँ तो 
कुछ भी नहीं 
कहीं नहीं था.....
कभी नहीँ था....!

©ajnabi

क्या फर्क पड़ता है की कितनी कविताएँ तुम्हारे लिये लिखी गई कितने सावन तुम्हारे लिये बरसे, वो झूमके जो तुम झूम के लाये थे क्या फर्क पड़ता है वो किताब जो शिद्दत से भेजी उस शिद्द्त से क्या फर्क पड़ता है... वक्त की धूल जम गई... तुम और तुम्हारी किताब दोनों पर... याद करुँ तो प्रेम है भुला दूँ तो नफरत है... और आगे बढ़ जाऊँ तो कुछ भी नहीं कहीं नहीं था..... कभी नहीँ था....! ©ajnabi

#Love

People who shared love close

More like this

Trending Topic