एक हद तक इन्सान दर्द सहता है फिर खामोश हो जाता है | हिंदी शायरी

"एक हद तक इन्सान दर्द सहता है फिर खामोश हो जाता है न तो उसके पास कोई शिकायत होती है न हीं कोई उम्मीद © satish kumar 49"

 एक हद तक इन्सान दर्द सहता है 
फिर खामोश हो जाता है 
न तो उसके पास कोई शिकायत होती है 
न हीं कोई उम्मीद

© satish kumar 49

एक हद तक इन्सान दर्द सहता है फिर खामोश हो जाता है न तो उसके पास कोई शिकायत होती है न हीं कोई उम्मीद © satish kumar 49

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