ढूंढता हूं वो दिन,
जो हमने गुजारे थे,
कागज की कश्ती बनाने वाले हाथ,
आज कलम के दीवाने थे।
मानो ना मानो आज हम कैद में,
और वह किसी और के दीवाने थे।
क्या हुआ ऐसा,जो दगा ये करी,
इन खुशियों को ना जाने,
नजर आज किसकी लगी।
ना डर है अब मौत का,
ना डर है अब मौत का,
वो तो एक आजादी है।
हमें तो तोड़ा जिंदगी ने इस कदर है,
कि अब उससे नफरत होनी जायस सी है।
मैं आज सोचता हूं...
MORE OR LESS,ONE DEFINITELY FACE SUCH A SITUATION,SUCH A THINKING IN HIS/HER LIFE.
#nojotowriting #Relatable