मुसाफ़िर हूँ .... अनजान राहों की , जब तक मंज़िल नहीं

"मुसाफ़िर हूँ .... अनजान राहों की , जब तक मंज़िल नहीं मिलेगी, तब तक चलूँगी ही नहीं।"

 मुसाफ़िर हूँ ....
अनजान राहों की ,
जब तक मंज़िल नहीं मिलेगी,
तब तक चलूँगी ही नहीं।

मुसाफ़िर हूँ .... अनजान राहों की , जब तक मंज़िल नहीं मिलेगी, तब तक चलूँगी ही नहीं।

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