मैं हाथ में फाइलें पकड़ें एकटक उस दरवाज़े की ओर देख रहा था, और अपने बचपन को याद कर रहा था
क्योंकि दरवाजे के पास रुकी थी
जो मेरी पहली और
सायद आखिरी मोहब्बत थी
मुझे लगा था कि ये यांहा
मेरे लिए अाई हैं पर
बचपन की तरह आज भी
उसके साथ हाथों में हांथ डाले कोई
और ही था.......
(Arpit झा)
#Vo_Darwaza