है अपनों से दुनिया या दुनिया में अपने हैं.. कि मु | हिंदी शायरी

"है अपनों से दुनिया या दुनिया में अपने हैं.. कि मुखौटों में चेहरा किसी का कभी दिखता नहीं, बड़ी गरज़ से मिली सोहबत जब मिली किसी की.. कि बेमतलब कोई किसी का अब हाल पूछता नहीं, है हर कोई अपना या हम हर किसी के अपने हैं.. कि बातों से मसला-ए-राज़ ये जाहिर होता नहीं, है हदों में ज़ज्बात या कि जज़्बातों की हद है.. कि आंसुओं का समंदर कभी कोई पार पाता नहीं। ©Sonam Verma"

 है अपनों से दुनिया या दुनिया में अपने हैं.. 
कि मुखौटों में चेहरा किसी का कभी दिखता नहीं,
बड़ी गरज़ से मिली सोहबत जब मिली किसी की.. 
कि बेमतलब कोई किसी का अब हाल पूछता नहीं,
है हर कोई अपना या हम हर किसी के अपने हैं.. 
कि बातों से मसला-ए-राज़ ये जाहिर होता नहीं,
है हदों में ज़ज्बात या कि जज़्बातों की हद है.. 
कि आंसुओं का समंदर कभी कोई पार पाता नहीं।

©Sonam Verma

है अपनों से दुनिया या दुनिया में अपने हैं.. कि मुखौटों में चेहरा किसी का कभी दिखता नहीं, बड़ी गरज़ से मिली सोहबत जब मिली किसी की.. कि बेमतलब कोई किसी का अब हाल पूछता नहीं, है हर कोई अपना या हम हर किसी के अपने हैं.. कि बातों से मसला-ए-राज़ ये जाहिर होता नहीं, है हदों में ज़ज्बात या कि जज़्बातों की हद है.. कि आंसुओं का समंदर कभी कोई पार पाता नहीं। ©Sonam Verma

#confused#JourneyOfLife

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