हर लम्हा मेरे लिए अभिशाप है,
हर एक पल मेरे लिए युद्ध का मैदान है।
कौन कहता है वक़्त है अजूबा,
जो बीत गया सो बीत गया,
पर मैं तो जानती हूँ,
हर सुबह हर पल वक़्त के साथ लड़ाई है।
वक़्त से है जंग मेरी,
मैं हार नहीं मानती,
हर रोज़ एक नयी लड़ाई है,
हर रोज़ एक नया सफ़र है।
मैं तैयार हूँ वक़्त से लड़ने के लिए,
जो भी हो, मैं उसे पार कर लूँगी,
अपने सपनों को हक़ीक़त बनाने के लिए,
कोई भी मुश्किल मुझसे टकराने के लिए।
वक़्त से है जंग मेरी,
हर लम्हा एक नया मुक़ाबला है,
हर एक पल मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी दास्तान है।
©Anannya Choudhury
#poetrymonth