उन के दिए ज़ख्म ख़ामोशी से सी चुके हैं हम अब वो लौ | हिंदी Shayari

"उन के दिए ज़ख्म ख़ामोशी से सी चुके हैं हम अब वो लौट के आयें भी तो क्या बहुत दूर निकल चुके हैं हम अब कोई चाहत ही नहीं उन से रूबरू होने की दर्द अपना आँसुओं के साथ पी चुके हैं हम. !!!! ©हिमांशु Kulshreshtha"

 उन के दिए ज़ख्म
ख़ामोशी से सी चुके हैं हम
अब वो लौट के आयें भी तो क्या
बहुत दूर निकल चुके हैं हम
अब कोई चाहत ही नहीं
उन से रूबरू होने की
दर्द अपना आँसुओं के साथ
 पी चुके हैं हम. !!!!

©हिमांशु Kulshreshtha

उन के दिए ज़ख्म ख़ामोशी से सी चुके हैं हम अब वो लौट के आयें भी तो क्या बहुत दूर निकल चुके हैं हम अब कोई चाहत ही नहीं उन से रूबरू होने की दर्द अपना आँसुओं के साथ पी चुके हैं हम. !!!! ©हिमांशु Kulshreshtha

दर्द अपना...

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