हकीकत को देख ना सकी, ख्वाबों में जीती रही, तुम मे | हिंदी शायरी

"हकीकत को देख ना सकी, ख्वाबों में जीती रही, तुम मेरे नहीं थे, पर तुम्हें अपना मानती रही| ©Kalpana"

 हकीकत को देख ना सकी,
ख्वाबों में जीती रही, 
तुम मेरे नहीं थे, 
पर तुम्हें अपना मानती रही|

©Kalpana

हकीकत को देख ना सकी, ख्वाबों में जीती रही, तुम मेरे नहीं थे, पर तुम्हें अपना मानती रही| ©Kalpana

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