अकशर भीड़ रहती है गैरों की तेरे हुजरे में मेरी याद कैसे आएगी तुझे !
कभी फुर्सत में आना मेरे हुजरे में हर दिवार पर तेरी ही तशवीर नज़र आएगी तुझे
अकशर भीड़ रहती है गैरों की तेरे हुजरे में मेरी याद कैसे आएगी तुझे ! कभी फुर्सत में आना मेरे हुजरे में हर दिवार पर तेरी ही तशवीर
#Internationalfamilyday