"कभी जिक्र हमारा भी हो तुम्हारी बातों में
कभी हमें भी गुलाब बना रख लो किताबों में
बड़े दिनों से तुम्हें देखते हैं दिन में चौराहे पर
कभी बन चाँद उतर आओ हमारी रातों में"
कभी जिक्र हमारा भी हो तुम्हारी बातों में
कभी हमें भी गुलाब बना रख लो किताबों में
बड़े दिनों से तुम्हें देखते हैं दिन में चौराहे पर
कभी बन चाँद उतर आओ हमारी रातों में