दो राज़ मिलते हैं हम-राज़ बनते हैं... खामोशियो से | हिंदी Shayari

"दो राज़ मिलते हैं हम-राज़ बनते हैं... खामोशियो से ही आवाज बनते हैं... थोड़े भरे हैं हम, थोड़े से ख़ाली हैं एक साथ तेरा हो तो सारी मंज़िलें हों... अपनी हर कमी में हम अब तुझे ही पाते हैं हम तेरी निगाहों से ख़ुद में झिलमिलाते हैं... ©Vaishnavi Ajane"

 दो राज़ मिलते हैं हम-राज़ बनते हैं...
खामोशियो से ही आवाज बनते हैं...
थोड़े भरे हैं हम, थोड़े से ख़ाली हैं
एक साथ तेरा हो तो सारी मंज़िलें हों...
अपनी हर कमी में हम अब तुझे ही पाते हैं
हम तेरी निगाहों से ख़ुद में झिलमिलाते हैं...

©Vaishnavi Ajane

दो राज़ मिलते हैं हम-राज़ बनते हैं... खामोशियो से ही आवाज बनते हैं... थोड़े भरे हैं हम, थोड़े से ख़ाली हैं एक साथ तेरा हो तो सारी मंज़िलें हों... अपनी हर कमी में हम अब तुझे ही पाते हैं हम तेरी निगाहों से ख़ुद में झिलमिलाते हैं... ©Vaishnavi Ajane

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