दुआ तो जाने कौन सी थी ज़ेहन में नहीं बस इतना याद ह | हिंदी शायरी

"दुआ तो जाने कौन सी थी ज़ेहन में नहीं बस इतना याद है कि दो हथेलियां मिली हुई थीं जिनमें एक मेरी थी और इक तुम्हारी... ©Srijit Srivastava"

 दुआ तो जाने कौन सी थी
ज़ेहन में नहीं
बस इतना याद है
कि दो हथेलियां मिली हुई थीं
जिनमें एक मेरी थी
और इक तुम्हारी...

©Srijit Srivastava

दुआ तो जाने कौन सी थी ज़ेहन में नहीं बस इतना याद है कि दो हथेलियां मिली हुई थीं जिनमें एक मेरी थी और इक तुम्हारी... ©Srijit Srivastava

#Sunrise #Dua #parveenshakir

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