और मै खुशी से फूले नहीं समा रही थी
बोहोत कुछ कहना चाहती थी पर जानें क्यों मे कह नहीं पा रहीं थीं
ये खुशी की वजह से था या मे उस पर यकीन नहीं कर पा रही थीं
शायद उससे बिछड़ने का गम था
जो मिलकर भी अधूरा लग रहा था साथ
उसे जाते देख जैसे मैं खुद से ही दूर जा रही थी ऐसा लग रहा था
जैसे मुझसे मेरी धड़कन जुदा हो रहीं हों
जैसे मैं खुद की ना होकर उसकी सी लग रहीं थीं
©Ring roy
हाथ
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