कौन पूछे और जाने कौन दिल मे छुपे दर्द को पहचाने कौ | हिंदी कविता

"कौन पूछे और जाने कौन दिल मे छुपे दर्द को पहचाने कौन कहूं मैं दिल की, बाते सच्ची झूठी, माने कौन मेरे मन को पढ़े बिना आंखो से पहचाने कौन मैं बोलूं और तू सुने, ऐसे मेरी बात माने कौन बाते मन में दबी दबी, भंवरो के सागर से टाले कौन मन चाहे रो लू थोड़ा, पर पास बैठ दामन थामे कौन खुद से पूछूं खुद की बात, सबकी मन की तू जाने, तेरे मन की जाने कौन सच्ची झूठी,मन की बाते, मन में रखे तेरे मन में झांके कौन ©Mahiya Mahi"

 कौन पूछे और जाने कौन
दिल मे छुपे दर्द को पहचाने कौन
कहूं मैं दिल की, बाते सच्ची झूठी, माने कौन
मेरे मन को पढ़े बिना आंखो से पहचाने कौन
मैं बोलूं और तू सुने, ऐसे मेरी बात माने कौन
बाते मन में दबी दबी, भंवरो के सागर से टाले कौन
मन चाहे रो लू थोड़ा, पर पास बैठ दामन थामे कौन
खुद से पूछूं खुद की बात, सबकी मन की तू जाने, तेरे मन की जाने कौन
सच्ची झूठी,मन की बाते, मन में रखे
तेरे मन में झांके कौन

©Mahiya Mahi

कौन पूछे और जाने कौन दिल मे छुपे दर्द को पहचाने कौन कहूं मैं दिल की, बाते सच्ची झूठी, माने कौन मेरे मन को पढ़े बिना आंखो से पहचाने कौन मैं बोलूं और तू सुने, ऐसे मेरी बात माने कौन बाते मन में दबी दबी, भंवरो के सागर से टाले कौन मन चाहे रो लू थोड़ा, पर पास बैठ दामन थामे कौन खुद से पूछूं खुद की बात, सबकी मन की तू जाने, तेरे मन की जाने कौन सच्ची झूठी,मन की बाते, मन में रखे तेरे मन में झांके कौन ©Mahiya Mahi

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