यहां रोज सियासत होती है,
बस लोग बदल जाते हैं।
शोषण करने के यहां,
बस तौर बदल जाते हैं।।
इज्जत भी होती नीलाम यहां,
ज़ख्म भी घुटकर मर जाते हैं।
जब खेल खेलती राजनीति,
दुःखियों के दर्द दब जाते हैं।
कभी पितामह हुए मौन यहां,
अब नेता मौन हो जातें हैं
हर रोज ही लुटतीं हैं द्रोपदी,
अब कृष्ण कहां आते हैं
शोषण करने के यहां,
बस तौर बदल जाते हैं।।
©नेहा तोमर
#ChainSmoking