है कोई मशीन जो टूटे हुये दिलों को सिला दे
वक्त दगाबाज़ था या ह्म कोई हमें बता दे ॥
गुमसुम सा रहने लगा हूँ खूद में कोई मुझे हंसा दे
जहाँ बिछड़े थे हम कोई उस राह पर फिर मिला दे ॥
कह रहा हूँ मन को की तू भी उसे भूला दे
कहता है कोई मुझे फिर वही मंद मुस्कान वाली सूरत दिखा दे ॥
क्या गुनाह है हमारा इश्क में कोई तो हमें बता दे