White शिकवे के ढंग ऐसे हैं" मेरे हुजूर , गुले गुल | हिंदी शायरी

"White शिकवे के ढंग ऐसे हैं" मेरे हुजूर , गुले गुलज़ार मेरी जान ए तमन्ना , आपका ही बोल वाला है रूबरू देख के इस तरह ,नज़र अंदाज़ करने का ढंग बड़ा निराला है। इरादा ठीक नहीं लगता,ज़रूर कहीं न कहीं कुछ तो दाल में काला है। अगर हुजूर के शिकवे ऐसे हैं, तो शिकायत का अंदाज़ जान लेबा होगा। ©Anuj Ray"

 White शिकवे के ढंग ऐसे हैं"

मेरे हुजूर , गुले गुलज़ार मेरी जान
 ए तमन्ना , आपका ही बोल वाला है
रूबरू देख के इस तरह ,नज़र 
अंदाज़ करने का ढंग बड़ा निराला है।

इरादा ठीक नहीं लगता,ज़रूर 
कहीं न कहीं कुछ तो दाल में काला है।
अगर हुजूर के शिकवे ऐसे हैं,
तो शिकायत का अंदाज़ जान लेबा होगा।

©Anuj Ray

White शिकवे के ढंग ऐसे हैं" मेरे हुजूर , गुले गुलज़ार मेरी जान ए तमन्ना , आपका ही बोल वाला है रूबरू देख के इस तरह ,नज़र अंदाज़ करने का ढंग बड़ा निराला है। इरादा ठीक नहीं लगता,ज़रूर कहीं न कहीं कुछ तो दाल में काला है। अगर हुजूर के शिकवे ऐसे हैं, तो शिकायत का अंदाज़ जान लेबा होगा। ©Anuj Ray

# शिकवे के ढंग ऐसे हैं"

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