मन चंचल सही तुम तो इस्थिर हो सारा दोष मन पे क्यों | हिंदी विचार

"मन चंचल सही तुम तो इस्थिर हो सारा दोष मन पे क्यों डालते हो माना हर जीवन के बाद पड़ जाता हैं एक पर्दा पर क्या तुम्हारे हर जन्म में तुमको तुम्हारे बीते और आगे के जन्मों के बारे में नहीं बताया आख़िर इंतज़ार किसका हैं पुनर्जन्म का या पुनर्मृत्यु का? या पसंद आगयी हैं ये क़ैद तुमको? मेरा रास्ता अलग हैं ये कह कर भी मिलेगी तुमको मृत्यु ही मुझसे पूछो तो ये देह का लालच छोड़ो और अपने आप को पहचानों यही बात मैं तुम्हें कितने ही जन्मों से बताता आ रहा हूँ अभी कर रहे हो अनसुना फिर दुबारा चाँदनी रात में बैठ के जीवन के बारे में जब रोओगे मैं तब याद आऊँगा तुमको या आऊँगा याद तब जब मृत्यु को साथ लाऊँगा जिसको देख तुम चिल्ला पड़ोगे पिछले हर जन्म की तरह इस बार फिर आया हूँ तुमको जगाने अगर फिर भी न जागो तो दोष मेरा हैं शायद मेरी आवाज इतनी बुलंद नहीं चलो अब चलता हूँ वैसे भी मेरी याद मेरे जाने के बाद ही आएगी और मेरी आवाज़ भी उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma"

 मन चंचल सही
तुम तो इस्थिर हो
सारा दोष मन पे क्यों डालते हो
माना हर जीवन के बाद
पड़ जाता हैं एक पर्दा
पर क्या तुम्हारे हर जन्म में
तुमको तुम्हारे बीते और आगे 
के जन्मों के बारे में नहीं बताया
आख़िर इंतज़ार किसका हैं
पुनर्जन्म का या पुनर्मृत्यु का?
या पसंद आगयी हैं ये क़ैद तुमको?
मेरा रास्ता अलग हैं ये कह कर भी
मिलेगी तुमको मृत्यु ही
मुझसे पूछो तो
ये देह का लालच छोड़ो
और अपने आप को पहचानों
यही बात मैं तुम्हें कितने ही जन्मों से
बताता आ रहा हूँ
अभी कर रहे हो अनसुना
फिर दुबारा चाँदनी रात में
बैठ के जीवन के बारे में जब रोओगे
मैं तब याद आऊँगा तुमको
या आऊँगा याद तब जब मृत्यु को साथ लाऊँगा
जिसको देख तुम चिल्ला पड़ोगे
पिछले हर जन्म की तरह
इस बार फिर आया हूँ
तुमको जगाने
अगर फिर भी न जागो
तो दोष मेरा हैं
शायद मेरी आवाज इतनी बुलंद नहीं
चलो अब चलता हूँ
वैसे भी मेरी याद मेरे जाने के बाद ही आएगी
और मेरी आवाज़ भी

उज्ज्वल~

©Ujjwal Sharma

मन चंचल सही तुम तो इस्थिर हो सारा दोष मन पे क्यों डालते हो माना हर जीवन के बाद पड़ जाता हैं एक पर्दा पर क्या तुम्हारे हर जन्म में तुमको तुम्हारे बीते और आगे के जन्मों के बारे में नहीं बताया आख़िर इंतज़ार किसका हैं पुनर्जन्म का या पुनर्मृत्यु का? या पसंद आगयी हैं ये क़ैद तुमको? मेरा रास्ता अलग हैं ये कह कर भी मिलेगी तुमको मृत्यु ही मुझसे पूछो तो ये देह का लालच छोड़ो और अपने आप को पहचानों यही बात मैं तुम्हें कितने ही जन्मों से बताता आ रहा हूँ अभी कर रहे हो अनसुना फिर दुबारा चाँदनी रात में बैठ के जीवन के बारे में जब रोओगे मैं तब याद आऊँगा तुमको या आऊँगा याद तब जब मृत्यु को साथ लाऊँगा जिसको देख तुम चिल्ला पड़ोगे पिछले हर जन्म की तरह इस बार फिर आया हूँ तुमको जगाने अगर फिर भी न जागो तो दोष मेरा हैं शायद मेरी आवाज इतनी बुलंद नहीं चलो अब चलता हूँ वैसे भी मेरी याद मेरे जाने के बाद ही आएगी और मेरी आवाज़ भी उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma

मन चंचल सही
तुम तो इस्थिर हो
सारा दोष मन पे क्यों डालते हो
माना हर जीवन के बाद
पड़ जाता हैं एक पर्दा
पर क्या तुम्हारे हर जन्म में
तुमको तुम्हारे बीते और आगे
के जन्मों के बारे में नहीं बताया

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