आज नफरत से खुन्नस में कुछ खास लिख दिया मैंने
तेरा नाम लिख दिया मैने
सोच लेते है हम की क्या हो तुम
अपने कसूर में तुझे गुनेहगार लिख दिया मैने
क्या चीज हो तुम हमे भी बतलाना कभी
आज तो इत्तेफाक से इत्तेफाक लिख दिया मैने
नासुर ना बनने पाये ये जख्म दुनियां के दिये हुए है
कमाल तो ये हैं की कमाल लिख दिया मैने
वो कह कर गया था इंतजार करना तुम
कही उसकी बातो को सच मान लिया मैने
इन रंगो में एक रंग सफेद भी हैं
ना जाने क्यूँ लाल रंग चुन लिया मैंने
तरस तरस कि बात है लोग तरस जाते हैं
तुम्हें ही एक तरसते नहीं देखा मैंने
हम तो गिरफ्त मे ले लिए जाएंगे एक दिन कहीं
तुम्हें तो गिरफ्त से आज़ाद करा दिया मैंने
©Upasana Gautam