हिसाब तो होकर रहेगा यहाँ नहीं तो किसी और अदालत मे | हिंदी शायरी

"हिसाब तो होकर रहेगा यहाँ नहीं तो किसी और अदालत में सजा भी मुकरर्र है मगर इजाफत है ख़ुदा की इबादत में ©अज्ञात"

 हिसाब तो होकर रहेगा 
यहाँ नहीं तो किसी और अदालत में 
सजा भी मुकरर्र है मगर 
इजाफत है ख़ुदा की इबादत में

©अज्ञात

हिसाब तो होकर रहेगा यहाँ नहीं तो किसी और अदालत में सजा भी मुकरर्र है मगर इजाफत है ख़ुदा की इबादत में ©अज्ञात

#court

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