मुझे ये मिलकियत और ये कारोबार तुझसे मिला,
मोहब्बत से दिल जीतने का औज़ार तुझसे मिला,
यूँ तो बोहुत धोखे दिये मुझे इस ज़ालिम ज़माने ने,
इन धोखो मे अपना होने का ऐतवार तुझसे मिला,
इस ग़मज़दा ज़िन्दिगी मे हर खबर थी ग़म से भरी,
पढ़ने को ये खुशियों से भरा अखबार तुझसे मिला,
जब कभी ये मायूशी के अँधेरे मंडराये मेरे सर पर,
मायूशी खुशियों मे बदली जब दीदार तुझसे मिला,
ये बिमारी है तो मुझे बीमार ही रहने दे तू फ़ाज़िल,
बड़ा तुत्फ आता है जबसे ये बुखार तुझसे मिला!
©shayeri with fazil
#BehtiHawaa