हैं मुझे एक डोर कुछ बाँधे हुए कुछ अधूरा ख़्वाब छत | हिंदी कविता Video

"हैं मुझे एक डोर कुछ बाँधे हुए कुछ अधूरा ख़्वाब छत पर पल रहा हैं रात भर एक चांद का साया रहा सुबह भी वो साथ मेरे चल रहा हैं जुड़ रही हैं एक नई उम्मीद उससे मन का कोलाहल भी सब निष्फल रहा हैं भीड़ मुझको देखकर ये कह रही हैं ख़ुद में खोने वाला वो पागल यहाँ हैं रात भर एक चांद का साया रहा सुबह भी वो साथ मेरे चल रहा हैं । नितिन श्रीवास्तव ©Nitin kumar srivastava "

हैं मुझे एक डोर कुछ बाँधे हुए कुछ अधूरा ख़्वाब छत पर पल रहा हैं रात भर एक चांद का साया रहा सुबह भी वो साथ मेरे चल रहा हैं जुड़ रही हैं एक नई उम्मीद उससे मन का कोलाहल भी सब निष्फल रहा हैं भीड़ मुझको देखकर ये कह रही हैं ख़ुद में खोने वाला वो पागल यहाँ हैं रात भर एक चांद का साया रहा सुबह भी वो साथ मेरे चल रहा हैं । नितिन श्रीवास्तव ©Nitin kumar srivastava

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