मर गया, हां मर गया, पूरा पूरा मर गया वही धर्मनिरपे | हिंदी Poetry

"मर गया, हां मर गया, पूरा पूरा मर गया वही धर्मनिरपेक्ष,अब मेरे अंदर का मर गया यूं तो कभी भी आजतक,रात भर जागा नहीं फिर क्यों ना सोया, देख नफरतें जब घर गया सच बोलना मेरे लिए,है विरासत मेरे पुरखों की लिखूंगा उनके वास्ते, भगवा लहु में भर गया जड़ें कई हिला गऐ जो, मां भवानी के वीर हम तुम्हारा वाजूद क्या,गर मैं शिवाजी सा लड़ गया हम कान्हा के भक्त हैं, महादेव के पुजारी भी त्राहि-त्राहि होगी, मत समझो 'सनातनी' डर गया। - Digvijay 'Sanatani' 🐯"

 मर गया, हां मर गया, पूरा पूरा मर गया
वही धर्मनिरपेक्ष,अब मेरे अंदर का मर गया

यूं तो कभी भी आजतक,रात भर जागा नहीं
फिर क्यों ना सोया, देख नफरतें जब घर गया

सच बोलना मेरे लिए,है विरासत मेरे पुरखों की
लिखूंगा उनके वास्ते, भगवा लहु में भर गया

जड़ें कई हिला गऐ जो, मां भवानी के वीर हम
तुम्हारा वाजूद क्या,गर मैं शिवाजी सा लड़ गया

हम कान्हा के भक्त हैं, महादेव के पुजारी भी
त्राहि-त्राहि होगी, मत समझो 'सनातनी' डर गया।
                       - Digvijay 'Sanatani' 🐯

मर गया, हां मर गया, पूरा पूरा मर गया वही धर्मनिरपेक्ष,अब मेरे अंदर का मर गया यूं तो कभी भी आजतक,रात भर जागा नहीं फिर क्यों ना सोया, देख नफरतें जब घर गया सच बोलना मेरे लिए,है विरासत मेरे पुरखों की लिखूंगा उनके वास्ते, भगवा लहु में भर गया जड़ें कई हिला गऐ जो, मां भवानी के वीर हम तुम्हारा वाजूद क्या,गर मैं शिवाजी सा लड़ गया हम कान्हा के भक्त हैं, महादेव के पुजारी भी त्राहि-त्राहि होगी, मत समझो 'सनातनी' डर गया। - Digvijay 'Sanatani' 🐯

मर गया...🤐🤐
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