#OpenPoetry अब छाई छाई सी बस्ती है। ओर धुआ धुआ सा

"#OpenPoetry अब छाई छाई सी बस्ती है। ओर धुआ धुआ सा मोसम है। अब कोई नही है ईस चिलमन मै। बस तेरी याद ही रोशन है। (khanbaba)"

 #OpenPoetry अब छाई छाई सी बस्ती है।
ओर धुआ धुआ सा मोसम है।
अब कोई नही है ईस चिलमन मै।
बस तेरी याद ही रोशन है।

                       (khanbaba)

#OpenPoetry अब छाई छाई सी बस्ती है। ओर धुआ धुआ सा मोसम है। अब कोई नही है ईस चिलमन मै। बस तेरी याद ही रोशन है। (khanbaba)

#teriyaad
#istillluvu

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