!!स्वतंत्रता सेनानी !! ------------------- कांप उठ

"!!स्वतंत्रता सेनानी !! ------------------- कांप उठे थे अंग्रेज जब सन् सत्तावन में, वीरों ने आज़ादी की बिगुल बजाई थी। हिल गई थी विक्टोरिया भी , जब लक्ष्मी ने अपनी तलवार उठाई थी । मच गया था हड़कंप जब मंगल ने शंख बजाया था, नाम था उसका सिपाही विद्रोह,जिसने भारतीयों को नींद से जगाया था। भगत सिंह जैसे देश के दीवानों ने, अंग्रेजो को खूब सताया था। गांधीजी की आवाज़ ने भी,अंग्रेजो को बड़ा चौंकाया था। घर-घर से निकल रहे थे हिंदुस्तानी , गर्व से जो खुद को थे बताते स्वतंत्रता सेनानी। लोगो ने अंग्रेज़ों की फांसी को गले का हार बनाया था, उनके कौड़े,डंडों को अपना आहार बनाया था। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का सभी में जज़्बा था। हथियारों की बिना भी ,सभी को लड़ना बखूबी आता था। साथ दिया हर नारी ने भी,तिरंगे को अपने चोला बनाया था । छोड़कर कांच की चूड़ियां,हर हाथों ने शस्त्र उठाया था । नमन है उन सभी स्वंत्रता सेनानियों को, जिन्होंने बदल कर रख दिया था देश की तस्वीर को। धन्य थे वो वीर लोग जिसने गुलशन कर दी थी देश की आबादी, और अमर होकर देश के हाथों में सौंप दे थी आज़ादी।। @Ayushika Arya ©Aayushi Singh"

 !!स्वतंत्रता सेनानी !!
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कांप उठे थे अंग्रेज जब सन् सत्तावन में,
वीरों ने आज़ादी की बिगुल बजाई थी।
हिल गई थी विक्टोरिया भी ,
जब लक्ष्मी ने अपनी तलवार उठाई थी ।
मच गया था हड़कंप जब मंगल ने शंख बजाया था,
नाम था उसका सिपाही विद्रोह,जिसने भारतीयों को नींद से जगाया था।
भगत सिंह जैसे देश के दीवानों ने,
अंग्रेजो को खूब सताया था।
गांधीजी की आवाज़ ने भी,अंग्रेजो को बड़ा चौंकाया था।
घर-घर से निकल रहे थे हिंदुस्तानी ,
गर्व से जो खुद को थे बताते स्वतंत्रता सेनानी।
 लोगो ने अंग्रेज़ों की फांसी को गले का हार बनाया था,
उनके कौड़े,डंडों को अपना आहार बनाया था।
गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का सभी में जज़्बा था।
हथियारों की बिना भी ,सभी को लड़ना बखूबी आता था।
साथ दिया हर नारी ने भी,तिरंगे को अपने चोला बनाया था ।
छोड़कर कांच की चूड़ियां,हर हाथों ने शस्त्र उठाया था ।
नमन है उन सभी स्वंत्रता सेनानियों को,
जिन्होंने बदल कर रख दिया था देश की तस्वीर को।
धन्य थे वो वीर लोग जिसने  गुलशन कर दी थी देश की  आबादी,
और अमर होकर देश के हाथों में सौंप दे थी आज़ादी।।
                                                   @Ayushika Arya

©Aayushi Singh

!!स्वतंत्रता सेनानी !! ------------------- कांप उठे थे अंग्रेज जब सन् सत्तावन में, वीरों ने आज़ादी की बिगुल बजाई थी। हिल गई थी विक्टोरिया भी , जब लक्ष्मी ने अपनी तलवार उठाई थी । मच गया था हड़कंप जब मंगल ने शंख बजाया था, नाम था उसका सिपाही विद्रोह,जिसने भारतीयों को नींद से जगाया था। भगत सिंह जैसे देश के दीवानों ने, अंग्रेजो को खूब सताया था। गांधीजी की आवाज़ ने भी,अंग्रेजो को बड़ा चौंकाया था। घर-घर से निकल रहे थे हिंदुस्तानी , गर्व से जो खुद को थे बताते स्वतंत्रता सेनानी। लोगो ने अंग्रेज़ों की फांसी को गले का हार बनाया था, उनके कौड़े,डंडों को अपना आहार बनाया था। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का सभी में जज़्बा था। हथियारों की बिना भी ,सभी को लड़ना बखूबी आता था। साथ दिया हर नारी ने भी,तिरंगे को अपने चोला बनाया था । छोड़कर कांच की चूड़ियां,हर हाथों ने शस्त्र उठाया था । नमन है उन सभी स्वंत्रता सेनानियों को, जिन्होंने बदल कर रख दिया था देश की तस्वीर को। धन्य थे वो वीर लोग जिसने गुलशन कर दी थी देश की आबादी, और अमर होकर देश के हाथों में सौंप दे थी आज़ादी।। @Ayushika Arya ©Aayushi Singh

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