माहोल चाहे जो कुछ हो,ना चाहकर भी ढलना पड़ता है, सो
"माहोल चाहे जो कुछ हो,ना चाहकर भी ढलना पड़ता है,
सोने को भी निखरने के लिए पहले जलना पड़ता है,
तुम्हे पसंद हो सकता है फूल तो क्या करे,
फूल पाने के लिए तो पहले काॅटो पर चलना पड़ता है। ।
#PJ"
माहोल चाहे जो कुछ हो,ना चाहकर भी ढलना पड़ता है,
सोने को भी निखरने के लिए पहले जलना पड़ता है,
तुम्हे पसंद हो सकता है फूल तो क्या करे,
फूल पाने के लिए तो पहले काॅटो पर चलना पड़ता है। ।
#PJ