Love Letter आज लिखूँ मैं प्रीति पिया की , जो मेरा शृंगार ।
बिन उनके तो लागे मुझको , झूठा यह संसार ।।
उडते फागुन के रंगो से , पूछूँ मैं हर बार ।
प्रीति हमारी भी ले आओ , मन में है अँधियार ।।
मन का दीपक बुझ मत जाए , सुन लो मेरी पुकार ।
आज लिखूँ मैं प्रीति पिया की ...
खेल रही हैं सखियां सारी , देखो आज गुलाल ।
एक तुम ही न आए साजन , दिल को हुआ मलाल ।।
तुम आते तो आ भी जाता , सुने मन को करार ...
आज लिखूँ मैं प्रीति पिया की ...
समझ न पाऊँ कैसे लिख दूँ , तुमको मैं चितचोर ।
आज जिया का हाल बताऊँ , टूटी मन की डोर ।।
तुम बिन सूखा बिरवा लगती , रूठी आज बहार ।
आज लिखूँ मैं प्रीति पिया की .....
आज लिखूँ मैं प्रीति पिया की , जो मेरा शृंगार ।
बिन उनके तो लागे मुझको , झूठा यह संसार ।।
१७/०२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
आज लिखूँ मैं प्रीति पिया की , जो मेरा शृंगार ।
बिन उनके तो लागे मुझको , झूठा यह संसार ।।
उडते फागुन के रंगो से , पूछूँ मैं हर बार ।
प्रीति हमारी भी ले आओ , मन में है अँधियार ।।
मन का दीपक बुझ मत जाए , सुन लो मेरी पुकार ।
आज लिखूँ मैं प्रीति पिया की ...