हर शहर, हर बशर, हुजूम, आवाम होता है, ना वो हिन्द | हिंदी Life

"हर शहर, हर बशर, हुजूम, आवाम होता है, ना वो हिन्दू होता है, ना मुसलमान होता है, दिन चार पहर का, सुबह-शाम होता है, हर आंख में आंसू, इश्क पैगाम होता है, ©Senty Poet"

 हर शहर, हर बशर, हुजूम, 
आवाम होता है, 
ना वो हिन्दू होता है, ना मुसलमान होता है, 

दिन चार पहर का, 
सुबह-शाम होता है, 
हर आंख में आंसू, इश्क पैगाम होता है,

©Senty Poet

हर शहर, हर बशर, हुजूम, आवाम होता है, ना वो हिन्दू होता है, ना मुसलमान होता है, दिन चार पहर का, सुबह-शाम होता है, हर आंख में आंसू, इश्क पैगाम होता है, ©Senty Poet

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