गोधूलि की विदा बेला में, करके रज रक्तिम श्रृंगार। | हिंदी कविता

"गोधूलि की विदा बेला में, करके रज रक्तिम श्रृंगार। गंदुम बाली बन लहराना, प्रखर भोर का पहन हार। ©Smriti_Mukht_iiha🌠"

 गोधूलि की विदा बेला में,
करके रज रक्तिम श्रृंगार।
गंदुम बाली बन लहराना,
प्रखर भोर का पहन हार।

©Smriti_Mukht_iiha🌠

गोधूलि की विदा बेला में, करके रज रक्तिम श्रृंगार। गंदुम बाली बन लहराना, प्रखर भोर का पहन हार। ©Smriti_Mukht_iiha🌠

गंदुम से तुम।

#SunSet

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