तेरे बगैर भी तुझसे प्यार कर लेंगे
तेरी खुशबू से महकार कर लेंगे
गुलाब न सही गुलाल ही दे दो
हम इसी से गुजार कर लेंगे
तुम बस ख्यालों में आते रहो
हम जीने का जुगाड़ कर लेंगे
मेरे घर आ रही है मिलने वो
हम भी कुछ सज संवार कर लेंगे
तुम शिकारी हो मगर याद रहे
शिकार इक दिन शिकार कर लेंगे
©Rabindra Prasad Sinha
#अनपढ़प्रेम