घरों की सजावट खो गयी साहब, चेहरे से थकावट खो गयी स

"घरों की सजावट खो गयी साहब, चेहरे से थकावट खो गयी साहब। अब तो मैं सिर्फ हँसता रहता हूँ, मेरी मुस्कुराहट खो गयी साहब। कभी आते पास तो मालूम हो जाता, अब तो वो आहट खो गयी साहब। घड़ों में पानी अब कहाँ ठंढा होता है, अब वो बनावट खो गयी साहब। - आदर्श सिंह ©आदर्श सिंह"

 घरों की सजावट खो गयी साहब,
चेहरे से थकावट खो गयी साहब।

अब तो  मैं सिर्फ हँसता रहता हूँ,
मेरी  मुस्कुराहट  खो गयी साहब।

कभी आते पास तो मालूम हो जाता,
अब  तो  वो  आहट खो गयी साहब।

घड़ों में पानी अब कहाँ ठंढा होता है,
अब  वो  बनावट  खो  गयी  साहब।
                        - आदर्श सिंह

©आदर्श सिंह

घरों की सजावट खो गयी साहब, चेहरे से थकावट खो गयी साहब। अब तो मैं सिर्फ हँसता रहता हूँ, मेरी मुस्कुराहट खो गयी साहब। कभी आते पास तो मालूम हो जाता, अब तो वो आहट खो गयी साहब। घड़ों में पानी अब कहाँ ठंढा होता है, अब वो बनावट खो गयी साहब। - आदर्श सिंह ©आदर्श सिंह

मुस्कुराहट खो गयी साहब.....

#OneSeason

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