सारा दोष हमारा था
प्यार के समंदर में गोते लगाने लगे
ये भी न देखा दूर बहुत किनारा था ।
जब लगे डूबने तो बारम बार बस,
एक ही नाम पुकारा था।।
क्या कहें कि तुम कितने बेबस ,मजबूर या मग़रूर थे,
जो तुमने एक बार भी मेरी तरफ नही निहारा था।
दर्द हुआ जब तेरी ख़ातिर टूटा मेरी ख्वाहिशों का सितारा था।।